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झोपड़ी में रहने वाले ट्रक चालक के बेटे ने लालटेन में करी UPSC की तैयारी, और IAS की परीक्षा पास की।

सफलता बोलने से नहीं, मेहनत करने से मिलती है। कहावत है कि कुछ पाने के लिए इंसान को कुछ खोना पड़ता है। यह सच है कि सफलता कड़ी मेहनत, त्याग और समर्पण की मांग करती है। इस एक दिन के लिए लोग अपनी रात की नींद और दिन का आराम छोड़ देते हैं।

कहने को तो यह एक दिन है, लेकिन यह जीवन भर की खुशी है। जिसके लिए लोग कई साल लगाते हैं। यह जरूरी नहीं है कि जिसके पास पर्याप्त संसाधन हों वही सफल हो सकता है। नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है। अमीर-गरीब का फर्क सिर्फ इंसानों को होता है। सफलता इंसान को अमीर बनाती है।

मैंने बहुत से लोगों को यह कहते सुना है कि एक गरीब हमेशा गरीब रहता है और धन अमीरों में जुड़ता रहता है। लेकिन यह लोगों की गलत सोच है। कड़ी मेहनत और लगन से लोग खुद को दुनिया का सबसे अमीर आदमी भी बना सकते हैं।

इस दौड़ में कई युवा शामिल हैं। आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे एक ऐसे ड्राइवर के बेटे के बारे में जिसे UPSC जैसी कठिन परीक्षा में सफलता मिली।

पिता का व्यवसाय ट्रक चालक और पुत्र यूपीएससी टॉपर राजस्थान राज्य के नागौर जिले के रहने वाले रामेश्वर लाल पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं. उनके बेटे पवन कुमार कुमावत हैं। जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 551वीं रैंक हासिल कर राजस्थान और अपने परिवार का नाम रौशन किया। पवन के पिता केवल 4 हजार रुपये कमाते थे और उसी वेतन पर घर चलाते थे, जो बहुत मुश्किल काम था। लेकिन पवन के पिता ने उन्हें हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

पवन ने बच्चन और जवानी दोनों को गरीबी में बिताया। उनका पूरा परिवार नागौर जिले के सोमाना गांव में बनी एक झोपड़ी में रहता है. पहले पिता मिट्टी के बर्तन बनाते थे। आर्थिक तंगी के बाद भी पवन कुमार ने अपना सपना पूरा किया.

घर में बिजली नहीं थी, इसलिए पवन लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते थे, साल 2003 में पवन का परिवार नागौर में शिफ्ट हो गया और अब पवन के पिता ट्रक ड्राइवर का काम करने लगे। पवन का घर जहां था, वहां बिजली की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए कभी पड़ोसी से संबंध बना लेता तो कभी लालटेन में ही पढ़ाई करता।

माता-पिता हर समय पवन का साथ देते थे। गरीबी कभी पवन के सपनों की आड़ नहीं बनी, लेकिन गरीबी उसकी ताकत बन गई और उसे पल-पल याद दिलाती रही कि उसका लक्ष्य क्या है और किसलिए। पवन बचपन से ही बहुत होशियार था।

वर्ष 2003 में केन्द्रीय विद्यालय, नागौर से 10वीं की परीक्षा हाई स्कूल से 74.33 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण की और आगे 12वीं की परीक्षा 79.92 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने जयपुर कॉलेज से बीडीएस की डिग्री पूरी की।

ट्यूशन फीस के लिए पिता को लेना पड़ा कर्ज पवन अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा था। लेकिन महज चार हजार रुपये में घर चलाना उनके पिता के लिए काफी चुनौती भरा था. फिर भी उसके पिता ने उसे इस बारे में कभी नहीं बताया।

कभी-कभी उनके पिता को लोगों से पैसे उधार भी लेने पड़ते थे। एक बार पिता ने पवन की कोचिंग की फीस भरने के लिए कर्ज लिया था। कई लोगों ने उन्हें कर्ज का पैसा वापस दिलाने के लिए प्रताड़ित भी किया। फिर भी पवन ने अपनी मेहनत जारी रखी और आज उसने अपने माता-पिता की सारी परेशानी दूर कर दी।

एक खबर से मिला जिंदगी का मकसद और तीसरी बार में ही पूरा किया मेरा लक्ष्य पवन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने साल 2006 में एक न्यूज चैनल में चल रही हेडलाइन पढ़ी थी कि लिखा था कि एक रिक्शा चालक का बेटा यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गया। उसी समय से पवन ने भी दृढ़ निश्चय कर लिया कि उन्हें भी आईएएस अधिकारी बनना है।

उस समय उन्हें UPSC परीक्षा का कोई ज्ञान नहीं था। जैसे IAS क्या होता है, कैसे बनता है, कौन सी परीक्षा देनी होती है? पवन के मन में कई सवाल थे। जिसे उन्होंने कॉलेज जाकर क्लियर किया और उसके बाद तैयारी में लग गए।

पवन ने अपनी तैयारी जारी रखी और साल 2018 में उन्हें आरएएस के लिए भी चुना गया। उनकी पहली पोस्टिंग बाड़मेर जिला उद्योग केंद्र में निदेशक के पद पर हुई थी। इसके बाद भी पवन ने यूपीएससी के लिए दो प्रयास किए। इंटरव्यू में पहुंचे और फेल हो गए। फिर भी हार नहीं मानी।

इसी बीच साल 2018 में उन्होंने शादी कर ली और उनका एक बच्चा भी है. पवन को तीसरे प्रयास में सफलता मिली। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा 551 रैंक के साथ पास की है, आज उनके पूरे परिवार को उन पर गर्व है।

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