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दहेज के लिए घर से बेदखल, बिना इंटरनेट के गांव में रहकर यूपीएससी की तैयारी, आईआरएस अधिकारी ने की कड़ी मशक्कत

यूपीएससी के 2013 बैच के आईआरएस अधिकारी कोमल गनात्रा इस बात का एक आदर्श उदाहरण हैं कि मजबूत इच्छा शक्ति व्यक्ति को सबसे कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए आगे बढ़ने की ताकत देती है। कोमल लाखों करोड़ों आम लड़कियों की तरह थी, उनमें अपने लक्ष्य को हासिल करने का विशेष जुनून था। इस जज्बे ने एक सामान्य लड़की को मुश्किल रास्तों को पार करने और अपनी मंजिल हासिल करने की हिम्मत दी।

शादी के कारण टूटा सपना कोमल की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया जब वह अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद उसने खुद को संभाल लिया और अपनी मेहनत से अपना आत्मसम्मान वापस पा लिया। 1982 में गुजरात के अमरेली में जन्मी कोमल ने अपनी पढ़ाई गुजराती माध्यम से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए तीन अलग-अलग भाषाओं और अलग-अलग यूनिवर्सिटी को चुना। उन्होंने तीन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। उनमें कुछ बड़ा करने का जज्बा था लेकिन 26 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई तो उनके सपने चकनाचूर हो गए।

एनआरआई से शादी 2008 में न्यूजीलैंड में रहने वाले एक एनआरआई लड़के से शादी करने के बाद कोमल की जिंदगी में ऐसा भूकंप आया कि वह पूरी तरह टूट गई। 2008 में जब कोमल की शादी तय हुई तो उन्होंने गुजरात लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा पास कर ली थी। अरेंज मैरिज के चलते उन्हें इंटरव्यू में हिस्सा नहीं लेने का फैसला करना पड़ा। इतनी बड़ी कुर्बानी के बाद भी कोमल को वो खुशी नहीं मिल पाई जो एक नवविवाहित लड़की अपने लिए चाहती है।

दहेज के लालच में टूटी शादी उनकी शादी को अभी केवल 15 दिन ही हुए थे कि ठीक से घर बसाने से पहले ही उनका वैवाहिक जीवन बर्बाद हो गया। कोमल जाने-अनजाने दहेज के लालची लोगों के चंगुल में फंस गई। इसी वजह से ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए घर से निकाल दिया था। इसमें उनके पति ने भी उनका बचाव नहीं किया और 15 दिन बाद ही विदेश चले गए। उसके बाद वह कभी वापस नहीं आया। उसके लौटने का इंतजार कर रही कोमल ने उसकी काफी तलाश की, हर जगह उसके बारे में पूछताछ की, लेकिन कहीं उसका कोई पता नहीं चला।

कठिन परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम थी मंजिल हर जगह हारने के बाद कोमल अपने माता-पिता के घर लौट आई। पर अब उसके जीवन में चैन कहाँ था? खुद दहेज की कुर्बानी देने वाली कोमल को शादी टूटने के कारण लोगों के ताने सुनने पड़े। इन तानों ने उन्हें इतना परेशान किया कि उन्होंने घर से दूर रहने का फैसला किया। कोमल अपने घर से दूर एक गांव में रहने लगी। यह एक ऐसा गांव था जहां न तो इंटरनेट की सुविधा थी और न ही अंग्रेजी का अखबार। इसके बावजूद उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। तैयारी के दौरान वह एक स्कूल में पढ़ाती भी थी।

कोमल कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए यूपीएससी की परीक्षा में 3 बार बैठी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद कोमल ने हार नहीं मानी और चौथी बार परीक्षा में बैठी। इस बार उसकी मेहनत रंग लाई और वह सफल हुई। अपने चौथे प्रयास में, उन्होंने अखिल भारतीय 591वीं रैंक हासिल की और एक आईआरएस अधिकारी बन गईं।

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