NEET परीक्षा में सैनिक की बेटी को मिले 720 में से 720 अंक, इन मुश्किलों का सामना करना पड़ा

अगर कोई छात्र इंजीनियर बनना चाहता है तो वह IIT में जाता है। वही अगर कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो वह नीट पर ध्यान देता है। हम जानते हैं कि ये सभी परीक्षाएं बहुत कठिन होती हैं। जिसे हर कोई नहीं निकाल पाता है। हर साल लाखों छात्र NEET और IIT परीक्षा में शामिल होते हैं। जिनमें से कुछ ही सफल होते हैं और अच्छे सरकारी कॉलेज में प्रवेश पाते हैं।
यूपी की आकांक्षा ने नीट परीक्षा में पूरे किए पूरे अंक हाल ही में हमने देखा कि नीट का रिजल्ट जारी किया गया था। जिसमें कई छात्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन इन सभी छात्रों में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के एक छोटे से गांव विनायकपुर में रहने वाली आकांक्षा सिंह नाम की एक लड़की ने दिखाया कि आज हर व्यक्ति को आकांक्षा पर गर्व है. आखिर नीट की परीक्षा में आकांक्षा को कितने अंक मिले और आकांक्षा ने कैसे तैयारी की, आइए जानते हैं।
यूपी के कुशीनगर की रहने वाली आकांक्षा की हर तरफ चर्चा हो रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने जो काम किया है उसे करना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। आकांक्षा ने इस साल हुई नीट परीक्षा में 720 में से पूरे 720 अंक हासिल किए हैं। इन अंकों के साथ आकांक्षा ने देश में टॉप भी किया है. अब आकांक्षा देश के बेहतरीन टॉप कॉलेज में पढ़ेगी।
दसवीं से ही तैयारी शुरू हो गई थी, आकांक्षा की सफलता के बारे में जब उसके परिवार से जानकारी ली गई तो घरवालों का कहना है कि आकांक्षा को इस परीक्षा में इतनी बड़ी सफलता इसलिए मिली क्योंकि वह 10वीं कक्षा में पढ़ती थी.
तभी से उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। जब वह छोटी थी, तो उसने तय कर लिया था कि वह एक बड़े मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेगी और डॉक्टर की पढ़ाई करेगी और खुद को एक दिन डॉक्टर के पेशे में देखेगी।
कोचिंग के लिए रोज 70 किलोमीटर जाता था सफर आकांक्षा ने NEET ट्यूशन के लिए हर दिन 70 किलोमीटर की दूरी तय की है। वह रोजाना यूपी के कुशीनगर से गोरखपुर जाती थी। 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आकांक्षा दिल्ली आ गई ताकि वह नीट परीक्षा की अच्छी तैयारी कर सके।
आपको बता दें कि आकांक्षा का परिवार पढ़ाई में काफी सावधान था। आकांक्षा कि मां शिक्षिका हैं। वही पिता की बात करें तो वह आर्मी में हैं। यही वजह है कि आकांक्षा भी अपनी पढ़ाई और करियर को लेकर इतनी सजग रहती हैं।
परिवार के सदस्यों के लिए बढ़ा सम्मान आकांक्षा बताती है कि जब वह आठवीं कक्षा में थी। तब उनके मन में करियर को लेकर तरह-तरह के सवाल आते थे। लेकिन उनका कहना है कि जब वह दिल्ली आईं तो उनके सारे सवाल क्लियर हो गए और उनका एम बस इतना था कि उन्हें नीट की अच्छी तैयारी करनी है और डॉक्टर बनना है।
बारहवीं कक्षा की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने के बाद आकांक्षा ने नीट भी पास कर ली। जिसके बाद आकांक्षा के घरवाले खुद को उन पर गर्व करने से नहीं रोक पाए. आकांक्षा की सफलता से उनके परिवार वालों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।
टॉपर्स में दूसरा स्थान आकांक्षा ने कुछ इस तरह से नीट परीक्षा की तैयारी की। कि वह इसमें पूरे अंक हासिल करने में सफल रही। आकांक्षा ने नीट परीक्षा में 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं। लेकिन फिर भी वह दूसरे नंबर पर है। ऐसा इसलिए क्योंकि शोएब नाम के एक छात्र ने भी इतने ही अंक हासिल किए हैं। लेकिन वह आकांक्षा से एक साल बड़े हैं।
आकांक्षा 17 साल की हैं और शोएब 18 साल के हैं। यही वजह है कि टॉपर्स में आकांक्षा का नाम दूसरे नंबर पर है। आकांक्षा की मेहनत का ही नतीजा है कि वह 720 में से 720 अंक हासिल कर पाई है। आकांक्षा सिंह की सफलता पर परिवार और देश के सभी नागरिकों को गर्व है।